गुरुवार को एनडीए सहयोगी जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने यह कह कर सनसनी मचा दी थी कि अग्निपथ योजना को लेकर पुनर्विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि अग्निवीर योजना को लेकर काफी विरोध हुआ था। चुनाव में भी इसका असर देखने को मिला है।
भारत सरकार ने इस योजना को 14 जून 2022 को लागू किया था।
जब ये योजना लागु कि थी तब भी बहुत आंदोलन हुआ था और उम्मीदवार बहुत गुस्से में थे। एयरफोर्स उम्मीदवार के तो केवल जॉइनिंग लेटर आना था लेकिन सरकार ने इसे रद करते हुए नये सिरे से भर्ती का आदेश पारित कर दिया था।
अग्निपथ योजना पर बहुत बड़ा अपडेट
मोदी सरकार 3.0 के शपथग्रहण समारोह से पहले ही एनडीए के सहयोगियों ने अग्निपथ योजना की समीक्षा करने की मांग शुरू कर दी है। जेडीयू के केसी त्यागी के बाद लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने इस योजना पर पुनर्विचार करने की इच्छा जताई है। वहीं अब अंदरखाने खबरें आ रही हैं कि इस योजना में बदलाव किया जा सकता है। सरकार बनने के बाद इस पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। वहीं सेना के पूर्व अफसरों का कहना है कि इस योजना को रद्द करके, पुरानी भर्ती प्रक्रिया को लागू किया जाए। भाजपा सरकार ने इस योजना को 14 जून 2022 को लागू किया था।
सवालों के घेरे में अग्निवीर योजना
इस बीच मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत से पहले सेना में भर्ती की अग्निवीर योजना को लेकर एक बार फिर राजनीतिक बहस शुरू हो गई है. जेडीयू ने अग्निवीर योजना की समीक्षा का मुद्दा उठाया है. पार्टी ने हवाला दिया है कि जहां अग्निवीर की ज्यादा भर्तियां हुई. वहां एनडीए को नुकसान हुआ है. ये समझने के लिए आपको उन 6 राज्यों के बारे में जानना चाहिए. जहां से सेना के तीनों अंगों में सबसे ज्यादा युवाओं की भर्ती होती है और वहीं एनडीओ को नुकसान उठाना पड़ा है.
जहां होती है सबसे ज्यादा भर्ती, वहीं मिली हार
- उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में NDA को गठबंधन को बड़ी हार मिली है. यहां सपा के खाते में 37 तो काग्रेस के खाते में 6 सीटें आई, जबकि 2014 और 2019 में शानदार प्रदर्शन करने वाली बीजेपी 33 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई.
- बिहार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 2019 चुनाव में 17 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार बीजेपी 12 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई.
- राजस्थान के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भी चौंकाया. 2019 में 24 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार 14 सीटों तक पहुंच पाई.
- महाराष्ट्र से भी बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं आई. पिछली बार बीजेपी ने 23 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार 9 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है.
- 2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब की तीन सीटों पर बीजेपी का खाता खुला था, लेकिन इस बार पंजाब में बीजेपी का खाता तक नहीं खुल पाया.
- हरियाणा में भी कुछ ही ऐसी ही स्थिति देखने को मिली. साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार सिर्फ पांच सीटों पर ही पार्टी जीत हासिल कर पाई.
- देश के यही वो टॉप 6 राज्य हैं. जहां से सबसे ज्यादा युवा फौज में भर्ती होते हैं. लोकसभा चुनाव में इन सभी 6 राज्यों में बीजेपी का परफॉरमेंस कैसा रहा. इस पर एक नजर डालें.
हिमाचल और उत्तराखंड ने वोट शेयर में दिया झटका
वहीं, हिमाचल से भी फौज में जाने वाले युवाओं की संख्या अच्छी खासी है. हालांकि, बीजेपी ने यहां चारों सीट जीत ली. लेकिन वोट शेयर 69.70% से घटकर 56.44% हो गया. यही हाल उत्तराखंड का रहा. जहां बीजेपी ने सभी पांच सीट भले जीत ली हो. लेकिन 2019 के मुकाबले वोट शेयर 61.66% से घटकर 56.81% रह गया है.